Arti Collection

(भक्त-रक्षक माँ कल्याणी)

बन्दहुं कल्याणी सुखकारी
शीश-मुकुट मनि कर्ण सुकुन्डल, चक्र गदा कर धारी
केहरि चढ़ि गर्जहि माँ ललिते, शुम्भ निशुम्भाहिं मारी
त्रिनेत्रि, धरि रूप अलौकिक, रक्तााम्बरतन सारी
वंâचनगात, शुभ्रलोचनतन, कोटि भानु उजियारी
कालरात्रि, तृष्णा चैकबीरा, तृषा क्षुधा महारानी
महाकालि, दुर्गे, रूद्राणि सरस्वती महामारी
हरहु तापत्रय मातृ भगवती, भक्तहिं लेहु उबारी
सेवहिं चरन कमल सुर अम्बे, निज, तन, मन, धन वारी
नासहु राग, शोक, भय, दारिद्र, ‘दीन’ हदय दुख भारी
भव सिन्धुहिं डूबहूँ उतराऊँ, तरनी लेहु उबारी

(माँ कल्याणी की आरती)
(रात्रि आरती की स्तुति)
(प्रात: आरती की स्तुति)
(ब्रह्मोवाच)
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