Temple Restoration And Renovation/मन्दिर का जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण

मन्दिर का जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण

अन्य अनेक देव स्थलों और मन्दिरों की भाँति कल्याणी देवी के मन्दिर का भी समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा है। पहले मन्दिर छोटे रूप में था। इसी दृष्टि से सर्वप्रथम स्तुत्य प्रयास १८९३ ई॰ में प्रयाग के समृद्ध और लब्ध प्रतिष्ठित नागरिक चौधरी महादेव प्रसाद द्वारा किया गया। चौधरी महादेव प्रयाद के कोई सन्तान नहीं थी। अतएव उन्होंने भगवती से प्रार्थना की। भगवती ने चौधरी साहब की मनोकामना पूरी की। भगवती की कृपा से उन्हें पुत्री प्राप्त हुई। अपनी मनोकामना पूरी होने पर चौधरी साहब ने लाला दुर्गाप्रसाद की देख-देख में मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया।

इसके उपरान्त मन्दिर के कर्मकाण्डी अर्चक और व्यवस्थापक पं॰ केदारनाथ जी पाठक ने भगवती के भक्तों के सहयोग से मन्दिर मे ंसुन्दर ठाइल्स लगवाई। मन्दिर के मुख्य द्वार को पीतल मण्डित कराया और विद्युत प्रकाश की व्यवस्था की। सन् १९७३ ई॰ में मन्दिर के व्यवस्थापक पं॰ सीताराम पाठक, पं॰ राम जी पाठक ने भक्तों के सहयोग से मन्दिर के प्रांगण में संगमरमर लगवाया। सन् १९७८ ई॰ में श्री हरीराम अग्रवाल जी ने भगवती के मंडप को रजत मण्डित कराया, चाँदी की चादर लगवाई। अनेक भक्त जनों ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर माँ कल्याणी क प्रतिमा मंडल के सुसज्जा के लिए समय-समय पर बहुमूल्य सहयोग प्रदान किये हैं। विगत १०-१२ वर्षों से मन्दिर के सुन्दरीकरण का कार्य बहुत तीव्र गति से चल रहा है, जिसके अन्तर्गत मन्दिर की दीवारों पर संगमरमर की निर्मित श्री राधाकृष्ण, श्री राम-लक्ष्मण-जानकी, श्री हनुमान जी के नवीन मंदिर का निर्माण हुआ है। भगवान शिव की पार ेएवं (सफटिक) प्रतिमा की प्रतिष्ठा हुई तथा भव्य यज्ञशाला का निर्माण हुआ और यह कार्य निरन्तर चल रहा है। श्रद्धालु भक्त जन इस भक्ति कार्य में अपना अमूल्य सहयोग सदैव देते रहे हैं और पुण्य के भागी होते रहे हैं।

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