अनूठा व्यक्तित्व
महाशक्तिपीठ माँ कल्याणी देवी जी का मन्दिर प्रयाग का अतिप्राचीन एवं पुराण वर्णित शक्तिपीठ है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार त्रेता युग में माँ के इस पीठ में ३२ अंगुल ऊँची प्रतिमा की स्थापना महर्षि याज्ञवल्क्य ने की एवं माँ की आराधना की थी उस काल से माँ कल्याणी का पूजन अर्चन चल रहा है। वर्तमान में जो माँ की प्रतिमा हैं वह भी उसी प्रमाण के अनुसार ३२ अंगुल ऊँची है। इलाहाबाद पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर डा॰ सतीशचन्द्र काला ने मूर्ति में शोध करके यह बताया कि माँ की प्रतिमा १५०० वर्ष पुरानी है। माँ का स्थान पहले यमुना जी के किनारे एक मढ़िया में नीम के पेड़ के नीचे था, लगभग २५० वर्ष पूर्व स्वामी ‘‘दीनदयाल जी’’ जिनका उपनाम दूधाधारी बाबा था। (क्योंकि ये स्वामी जी दूध पीकर ही रहते थे), उन्हें ज्ञात हुआ कि ये माँ का शक्तिपीठ है तब से वह यहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे एवं माँ का पूजन अर्चन करते थे उनके उपरान्त उनके दौहित्र (नाती) पं॰ दुर्गा प्रसाद मिश्र ने पूजन अर्चन का दायित्व संभाला। सन् १८३० में शहरारा बाग के एक मुंशी जी जिनका नाम ज्ञात नहीं हैं उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
सन् १८३५ में पं॰ दुर्गाप्रसाद मिश्र ने स्वामी अखण्डानन्द जी के सहयोग से चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी का त्रिदिवसीय मेला का प्रारम्भ कराया, जो वर्तमान में भी इलाहाबाद के विशाल मेलों मेें तब से आज तक चलता आ रहा है। सन् १८६९ ई॰ के ब्रिटिश काल के गजेटियर में भी इस मेले का उल्लेख है। मुख्य मेला अष्टमी के दिन लाखों नर-नारी माँ का पूजन अर्चन एवं स्तवन करते हैं। पुन: सन् १८९३ ई॰ में पं॰ देवीदीन मिश्र जो कि पं॰ केदारनाथ पाठके के नाना थे, उनके संरक्षण में प्रयाग के प्रसिद्ध रईस चौ॰ महादेव प्रसाद ने संतान की मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उसके पश्चात पं॰ केदारनाथ पाठक जो कि माँ कल्याणी के परम अर्चक एवं तपोनिष्ठ मूर्ति थे जिन्होंने अपने नाना पं॰ देवीदीन मिश्र के पश्चात मंदिर की व्यवस्था सन् १९०७ तक मंदिर का पूर्ण दायित्व एवं भक्तों के सहयोग से विकास करते रहे उनके दो पुत्र पं॰ सीताराम पाठक एवं पं॰ राम जी पाठक थे। प्रथम बाद सन् १९६४ में उनके ज्येष्ठ पुत्र पं॰ सीताराम पाठक ने अपने छोटे भाई राम जी पाठक एवं गणमान्य व्यक्तियों के सहयोग शतचण्डी महायज्ञ एवं प्रवचन का कार्यक्रम मंदिर प्रांगण में ही प्रारम्भ कराया। इस कार्यक्रम ने सन् १९७३ में वृहद रूप धारण किया। कल्याणी देवी पार्वâ में, विराट मानस सम्मेलन, श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ, श्री देवी भागवत आदि कथा ये अनवरत ४५ वर्षो से होती चली आ रही है। इस कार्यक्रम में भारत के महान धर्माचार्य धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महराज, सन्त शिरोमणि श्री प्रभुदत्त जी ब्रह्मचारी जी महाराज, पुरी पीठाधीश्वर श्री निरंजन देव तीर्थ जी, ज्योतिष पीठाधीश्वर, स्वामी शान्तानन्द जी महाराज, स्वामी वासुदेवानन्द जी सरस्वती, द्वारिका पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज आदि महान विभूतियों ने माँ कल्याणी जी के दरबार में अपने प्रवचनों के माध्यम से आशीर्वाद दे चुके है।