एक सिद्धिपीठ होने के नाते भगवती की आराधना अर्चना की समुचित व्यवस्था परम आवश्यक है। मन्दिर के वर्तमान व्यवस्थापक पं॰ सुशील पाठक व पं॰ श्याम जी पाठक के पूर्वज
मन्दिर की व्यवस्था और अर्चना का कार्य दो सौ वर्षों से करते आ रहे हैं।
मन्दिर में नित्यप्रति प्रात: ५:३० बजे तथा सायं ७:३० बजे भव्य आरती होती है। सोमवार तथा शुक्रवार को विशेष अर्चना एवं शृंगार किया जाता है। नित्य प्रति प्रात: और सायंकाल दुर्गा
सप्तशती का पाठ होता है।
चैत्र नवरात्रि तथा आश्विन नवरात्रि में विशेष पूजन-अर्चना शतचण्डी पाठ, यज्ञ, हवन, शृंगार तथा भंडार का आयोजन होता है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ बदी अष्टमी, होली के बाद की
चैत्रवदी, अष्टमी शरद पूर्णिमा के पूर्व की चतुर्दशी (ढेढ़िया) के अवसर पर भी विशेष शृंगार होता है। इन मांगलिक अवसरों पर सारे नगर जनपद और प्रदेश के श्रद्धालु भक्तजनों की अपार भीड़ भगवती के
दर्शन और पूजन-अर्चन हेतु उमड़ पड़ती है।